मौलाना अब्दुल आजाद का शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि यह दिन स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती का सम्मान करता है ।उल्लेखनीय है कि मौलाना आज़ाद को उनके अमूल्य योगदान के लिए 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारत की शिक्षा प्रणाली को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया, इसलिए यह दिन मौलिक अधिकार और सामाजिक प्रगति के रूप में शिक्षा के महत्व की याद दिलाता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ कंचन जैन ने कहा कि
उन्होंने प्रथम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईटी खड़गपुर की भी स्थापना की और उनके मार्गदर्शन में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद,साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सहित कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की गई।
स्वतंत्रता के बाद के भारत में, आज़ाद ने ग्रामीण गरीबों और लड़कियों की शिक्षा, वयस्क साक्षरता, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि
आज़ाद, स्वतंत्र भारत के सिर्फ प्रथम शिक्षा मंत्री ही नहीं थे। बल्कि वे भारत में शिक्षा की बुनियाद रखने वाली उच्च कोटि की संस्थाओं के ‛शिल्पकार’ भी थे। आज़ाद के व्यक्तित्व के कई पक्ष हैं जिनमें असीमित विस्तार है। आज़ाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ उच्च कोटि के विद्वान, साहित्यकार और पत्रकार भी रहे हैं।